Ticker

6/recent/ticker-posts

लद्दाख में सोनम बांगचुक का 21 दिवसीय पर्यावरण उपवास हुआ खत्म

 लद्दाख में 6 मार्च से आमरण अनशन पर बैठे पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम बांगचुक ने 26 मार्च को 21 दिन का पर्यावरण उपवास खत्म कर दिया। पूरे अनशन को मजबूती देने के लिए उनके साथ 350 लोग -10 डिग्री तापमान में खुले आसमान के नीचे सोए। इस अनशन में कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस और लेह स्थित एपेक्स बॉडी का भी समर्थन मिला हुआ है।

पर्यावरण उपवास करते सोनम बांगचुक


     आमरण अनशन के तहत उठाई गईं मुख्य मांगो में लद्दाख को पहले की तरह पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना और उसे छठी सूची में शामिल करना है। चूंकि भारत में अधिकांश राज्यों में पर्वतीय क्षेत्र हैं इसलिए उच्च ऊंचाई वाले ऐसे क्षेत्रों के लिए विशेष लोकसेवा आयोग को गठित करने की मांग भी उठाई गई है। 370 हटने के बाद की स्थिति को बदलने के लिए लेह और कारगिल के लिए संसद में अलग-अलग सीटों की मांग भी की गई है। 

लद्दाख का मानचित्र



छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य की मांग क्यों– लद्दाख पर्यावरण के नजरिए से संवेदनशील क्षेत्र हैं। यहां खनन और औद्योगिक गतिविधियों के बढ़ने से उसके खत्म होने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है।  इसलिए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को संवैधानिक सुरक्षा के जरिए ही खत्म होने से बचाया जा सकता है। 

    साल 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के लद्दाख हिल काउंसिल चुनावों में बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में लद्दाख को छठी सूची में शामिल करने का वादा किया था। दोनों जगहों पर बीजेपी चुनाव जीत गई लेकिन घोषणापत्र में किया वादा पूरा नहीं किया। 

    बर्ष 2019 में जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया। तब लद्दाख के पास जम्मू कश्मीर विधानसभा में चार और विधान परिषद में 2 सदस्य होते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इससे स्थानीय लोग प्रशासन और भागीदारियों में खुदको वंचित महसूस करते हैं। 

   लद्दाख में जनजातियों की अधिकता है। इसके कुछ इलाकों में 99% तक जनजातियां मिलती हैं। इनकी अपनी संस्कृति, विरासत और परंपरा है, जिसे सुरक्षित रखने के लिए भी ऐसा करना जरुरी है। चूंकि इसकी सीमाएं चीन और पाकिस्तान के बेहद नजदीक हैं, इसलिए सुरक्षा के लिहाज से भी ऐसा करना जरुरी है। 

भारतीय संविधान प्रतीकात्मक फोटो



क्या है छठी अनुसूची–

संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची में जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त प्रशासनिक जिले बनाने की बात कही गई है, यानी एक ऐसा क्षेत्र जिसका शासन उस क्षेत्र की अपनी शासन व्यवस्था द्वारा होगा। इसमें विधायिका, न्यायपालिका और प्रशासनिक व्यवस्था शामिल होगी। इस समय भारत के 4 पूर्वोत्तर राज्यों में छठी अनुसूची लागू है। इन राज्यों में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम हैं। इसके पीछे की मुख्य वजह जनजातीय लोगों को सुरक्षित रखना है। 



कौन हैं सोनम वांगचुक– ये भारत में जाने-माने शिक्षक, पर्यावरण कार्यकर्ता, इनोवेटर और इंजीनियर हैं। साल 2018 में इन्हें समाजसेवा के लिए रैमन मैग्सेस पुरुस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। राजकुमार हिरानी के निर्देशन में बनी फिल्म थ्री इडियट्स में आमिर खान ने जिस फुनसुख बांगडू का किरदार निभाया था, वो इन्हीं से प्रेरित था।  

सोनम बांगचुक फाइल फोटो

      वो हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव, लद्दाख नामक संस्था के निदेशक भी हैं। उन्होंने लद्दाख में इनोवेटिव स्कूल खोले, जो कि सौर ऊर्जा से चलते हैं। इन स्कूलों में खाना बनाने, रोशनी करने या कमरों को गर्म रखने में किसी भी तरह से जीवाश्म ईधन का प्रयोग नहीं होता है। 


महात्मा गांधी जी


21 दिनों का ही उपवास क्यों रखा– 

आमरण अनशन को अलग-अलग चरणों में करने की योजना है। 21 दिनों को चुनने की वजह गांधी जी से प्राप्त प्रेरणा है। बांगचुक ने कहा कि हम गांधी जी के पदचिन्हों पर चल रहे हैं। उन्होनें भी देश को आजादी दिलाने के समय सबसे लंबा उपवास 21 दिनों का रखा था। हम भी 21 दिनों तक अपने आपको कष्ट देंगे ताकि सरकार और प्रशासन हमारे दर्द को समझे और हमारी मांगे पूरी करे।  



Post a Comment

0 Comments