पड़ोसी देश नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने चीन के 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' परियोजना पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। अब वो आधिकारिक तौर पर इस परियोजना का हिस्सा हैं, जिससे भारत शुरू से ही दूरी बनाए हुए है। यह चीन द्वारा शुरू की गई एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ने वाली योजना है। इसमें पोर्ट, रोड, रेलवे और एयरपोर्ट समेत पावर प्लांट और टेलीकम्यूनिकेशन नेटवर्क शामिल हैं। आइए इसको और डिटेल से जानते हैं...
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चीन के राष्ट्रपति और नेपाल के पीएम |
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना क्या है
यह परियोजना पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना(चीनी जनवादी गणराज्य) द्वारा शुरू की गई है। इसके जरिए एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जमीन और समुद्र के जरिए आपस में जोड़ना है। इसके पीछे का मकसद इन क्षेत्रों को आपस में और बेहतर ढंग से जोड़ना, व्यापार में बढ़ोतरी करना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।
2000 साल पुराने सिल्क रोड से लिया आइडिया
यूरोपियन बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट के अनुसार इसका नाम साल 2013 में चीन के राष्ट्रपति ज़ी जिनपिंग द्वारा दिया गया है। जिनपिंग ने इसकी प्रेरणा सिल्क रोड से ली है, जो कि करीब 2000 साल पहले हान राजवंश के दौरान था। यह प्राचीन रोड चीन को यूरेशिया(यूरोप और एशिया) के जरिए भूमध्यसागर से जोड़ता था। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को पहले भी वन बेल्ट वन रोड के नाम से जाना जाता रहा है।
भारत ने क्या बना रखी है दूरी, ये है वजह
भारत द्वारा इसका विरोध करने की सबसे बड़ी वजह इस परियोजना का एक हिस्से(चीन पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरिडोर) का पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है। इसके साथ ही भारत का तर्क है कि इससे भारत को व्यापार के लिए समान अवसर नहीं मिलेगा।
परियोजना में शामिल भारत के पड़ोसी देश
वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम के अनुसार नवंबर 2023 तक 150 से अधिक देश और 30 इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन इस परियोजना का हिस्सा हैं। भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो अफगानिस्तान,बांग्लादेश,इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, मेडागास्कर,मालदीव, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल,पाकिस्तान, श्री लंका, ताजिकिस्तान,उजबेकिस्तान, वियतनाम,
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