इन दिनों सुडान की राजधानी खारतूम में दो सैन्य गुटों के बीच भयानक युद्ध चल रहा है, जिसमे अब तक चार सौ से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. (लेख लिखने तक की जानकारी के अनुसार)
नक्शे पर कहां है सुडान:
सुडान अफ्रीका का उत्तर पूर्वी देश है. जो केवल उत्तर पूर्व में लाल सागर से घिरा हुआ है जबकि बाकी की दूसरी सीमाएं अफ्रीका के दूसरे देशों से लगीं हुईं हैं. इन देशों में सात देश शामिल हैं जिनमे से मिस्र, लीबिया, चाड, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, दक्षिण सुडान, इथियोपिया, एरिट्रिया.
बटबारे से लेकर आर्थिक प्रतिबंधों तक की कहानी
साल 2011 तक सुडान अफ्रीका का सबसे बड़ा देश था, क्षेत्रफल की दृष्टि से. लेकिन साल 2011 में सुडान का दक्षिणी हिस्सा इससे अलग हो गया और देश दो भागों में बट गया. दक्षिणी हिस्से को दक्षिण सुडान के नाम से जाना जाने लगा. इस बटबारे के कई आर्थिक और राजनीतिक परिणाम सामने आए जिनके प्रभाव रह रह कर आज तक सामने आते रहते हैं. विशेष रूप से दक्षिण सुडान के पास कच्चे तेल के भंडार पहुंच गए, जिससे सुडान को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा. साथ ही साथ गैर अरब विद्रोहियों को दबाने और कुचलने की नीतियों के कारण अमेरिका और यूरोप के दूसरे देशों से भारी मात्रा में आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा. जिससे अन्तता सुडान की आर्थिक हालत और भी खराब हो गई.
आजादी के बाबजूद हिंसा, पिछड़ापन गरीबी में पनपता सुडान
भारत की तरह अफ्रीका के अन्य देश भी ब्रिटिश उपनिवेश के जाल में फसे हुए थे. इन देशों में सुडान का नाम भी शामिल था. फिर साल 1956 आते आते देश को ब्रिटिश शक्तियों से आजादी मिली. लेकिन वो आजादी देश को एकजुट कराने में और देश को लोकतांत्रिक बनाने में सफल नहीं हो सकी. परिणाम ये हुआ कि देश के शासन की बागडोर सैन्य हाथों में पहुंच गई. और फिर सेना के शासन, सत्ता पर कब्जा, आए दिनों होने वाली हिंसा ने देश को लोकतंत्र से कोसो दूर जाकर पटक दिया. और इसी का परिणाम है की वर्तमान में हो रही भयानक लड़ाई में एक तरफ सुडानी आर्म्ड फोर्सेस के प्रमुख जनरल अब्दुल फतह अल बुरहान हैं तो दूसरी तरफ अर्द्ध सैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के लीडर मोहम्मद हमदान दगालो (हेमेदति) हैं. एक दौर में ये दोनो सैन्य प्रमुख बेहद करीबी मित्र हुआ करते थे, साथ ही साथ देश में आए दिन सैन्य तख्तापलट को अंजाम दिया करते थे. साल 2019 को ओमर अल बशर की सरकार को हटाकर इन दोनो ने ही सैन्य शासन को लागू किया था. फिर ऐसा क्या हुआ कि आज दोनो एक दूसरे के दुशमन बन गए हैं?
दोस्ती के दुशमनी में बदलने के पीछे की कहानी
आजादी के बाद बुरहान दारफूर में सूडानी आर्म फोर्सेज के प्रमुख नेता बन गए और दूसरी तरफ़ हेमेदती अरब मिलिशिया के कमांडर बन गए,( जिन्हे जंजाबीड भी कहा जाता है) एक तरफ़ बुरहान पेशेवर आर्मी की भूमिका में आगे बढ़ते चले गए तो दूसरी तरफ़ हेमेदती को दारफूर में गैर अरब विद्रोहियों को कुचलने में इस्तेमाल किया जाने लगा. जिस कारण बुरहान की छवि दिन प्रतिदिन खराब होती चली गई. अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने उन पर जातीय नरसंहार, सामूहिक रेप और बड़े पैमाने पर हत्या के आरोप लगाए. इन सबके बाबजूद साल 2019 में एक समझौता हुआ जिसके तहत नागरिक सरकार के गठन की योजना बनाई गई. साथ ही साथ इसकी देख रेख के लिए एक निगरानी समिति भी बनाई गई. इस समिति में चेयरमैन के पद पर जनरल बुरहान और डिप्टी के पद पर हेमेदती को बिठाया गया. साथ ही साथ हेमेदती को ये एहसास दिलाया गया कि आने वाले समय में उनके अर्द्ध सैनिक बल को देश की मुख्य सेना में सम्मिलित कर लिया जाएगा. इसी के परिणाम स्वरूप साल 2021 में एक बार फिर दोनो जनरल ने मिलकर सैन्य तख्तापलट किया. और फिर से दोनो जनरल की स्थिति अर्थात पद पूर्ववत ही रहे. धीरे धीरे हेमेदती को एहसास होने लगा कि उनके सैन्य बल को मुख्य सेना में शामिल नहीं किया जायेगा. साथ ही साथ जनरल बुरहान भी अपना रंग दिखाने लगे अर्थात वो ओमर अल बशर की तर्ज पर शासन को चलाने लगे. जिससे दोनो जनरलों के बीच तल्ख़ियां और तकरार बढ़ने लगे. जिसका विशेष कारण शासन की बागडोर को अपने हाथों में लेना था.
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