हिन्दू सेना चीफ विष्णु गुप्ता ने राजस्थान की निचली अदालत में दायर याचिका में दावा किया है कि राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह एक शिव का मन्दिर था। इसमें दरगाह के सर्वेक्षण की मांग की गई है। इससे पहले उत्तर प्रदेश के संभल की जामा मस्जिद में भी हिन्दू मंदिर होने का मामला सामने आया था। कोर्ट के आदेश के बाद जब टीम सर्वे करने गई, तो वहां हुई हिंसा में चार युवकों की मौत हो गई। इन मामलों के बाद एक बार फिर पूजा स्थल अधिनियम 1991 (प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट) उभरकर सामने आ गया है। आइए जानते हैं क्या है यह एक्ट और इसमें किन बातों को शामिल किया गया है।
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एआई की मदद से बनी प्रतीकात्मक तस्वीर |
क्या है पूजा स्थल अधिनियम 1991
प्लेस ऑफ वर्शिप(स्पेशल प्रोविजन्स) एक्ट 1991 किसी भी पूजा स्थल के रूप को बदलने से रोकता है। इसके तहत धार्मक स्थल को उसी रूप में बनाए रखने का आदेश दिया गया है, जिस रूप में वह 15 अगस्त 1947 को था। आइए जानते हैं कि इस एक्ट में किन बातों को शामिल किया गया है।
कब और किन जगहों पर लागू हुआ
इस अधिनियम की शुरूआत 11 जुलाई 1991 को मानी गई है। कन्वर्जन यानी रूपांतर की बात करें तो इसमें धार्मिक स्थल में किसी भी प्रकृति का बदलाव शामिल है। इसके तहत प्लेस ऑफ वर्शिप यानी पूजा स्थल के रूप में मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च, मठ या किसी भी धार्मिक संप्रदाय का अन्य कोई सार्वजनिक पूजा का स्थान, चाहे वह किसी भी नाम से जाना जाता हो शामिल है।
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मंदिर की प्रतीकात्मक तस्वीर |
पूजा स्थलों के परिवर्तन पर लगाई गई रोक
धारा-3 के तहत पूजा स्थलों के रूप में बदलाव को रोक दिया गया। कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म के पूजा स्थल को नहीं बदल सकता। ना ही उसके किसी हिस्से में बदलाव कर सकता है। 15 अगस्त 1947 को जो पूजा स्थल जिस रूप में मौजूद था, वह आगे भी उसी रूप में बना रहेगा।
इस अधिनियम के लागू होते ही 15 अगस्त 1947 को किसी भी धार्मिक पूजा स्थल का जो चरित्र है परिवर्तन से जुड़ी किसी भी अदालत, ट्रिब्यूनल या इसके समकक्ष अन्य में अपील या सुनवाई बंद हो जाएगी।
राम जन्मभूमि-बावरी मस्जिद को मिली थी छूट
यह अधिनियम राम जन्मभूमि बावरी मस्जिद पर लागू नहीं होगा। इस अधिनियम में शामिल कोई भी हिस्सा पूजा स्थल जिसे राम जन्मभूमि बावरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है, उस पर लागू नहीं होगा। यह पूजा स्थल उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित है।
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मस्जिद की प्रतीकात्मक तस्वीर |
धारा तीन का उल्लंघन करने पर होगी सजा
धारा- 3 में पूजा स्थलों के रूप में बदलाव पर रोक लगाई गई है। अगर इस अधिनियम के तहत धारा-3 का कोई उल्लंघन करता है तो उसे जेल हो सकती है। यह सजा तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है। साथ ही साथ आरोपी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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