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धार्मिक रैली और उससे उत्पन्न दंगे

नूह मे 31 जुलाई को हुई सांप्रदायिक हिंसा मे शामिल लोगों के घरों  एवं दूसरी संपत्तियों को बुलडोजर की मदद से गिराया जा रहा है । तो वहीं गुरुग्राम की मेवात पंचायत मे एक व्यक्ति ने कहा कि हमे या तो योगी जैसा मंत्री दो या फिर मेवात को यूपी मे शामिल कर दो । 

दंगों के शुरुआती निशान 

खुद को गोरक्षक बताने वाले मोस्ट वांटेड मोनू मानेसर पर 2 मुस्लिम युवकों नासिर और जुनैद  की हत्या का आरोप है । यात्रा निकालने से पूर्व मोनू मनेसर ने विडिओ जारी करके यात्रा मे अधिक से अधिक लोगों को शामिल होने को कहा था । जिसमे उसने प्रतीकात्मक भाषा मे भीड़ को उग्र बनाने का भी प्रयास किया था । साथ ही खुद भी रैली मे आने की बात कही थी । मोनू के बयान आने के बाद उसके विरोध मे लोगों ने धरने देकर नारे भी लगाए थे । 

यात्रा और फिर दंगों की शुरुआत 

बजरंगदल तथा विश्व हिन्दू परिषद ने ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा जब नूह जिले मे पहुंची तो उग्र भीड़ ने रैली को रोकने का प्रयास किया । पत्थरबाजी और आगजनी जैसी घटनाओं ने झगड़ा और बड़ा दिया । जवाबी कार्यवाही मे प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अपने स्तर पर धारा 144 लागू करना , संवेदनशील इलाकों मे गस्त लगाने, इंटरनेट को भी बंद करने जैसे प्रयास किए गए ।  

वहीं पुलिस या प्रशासन से सवाल करने पर उनकी तरफ से इस बात की सटीक जानकारी नहीं दी गई है कि हिंसा की असली  वजह क्या थी । लेकिन इतना तो साफ है की भाईचारा बिगाड़ने के मकसद से ही इस तरह से निगेटिव वीडियोज़ और अफवाहें फैलायीं गईं होंगी । यही बात नूह और आस पास के इलाके के अलग अलग समुदायों से आने वाले लोग मानते हैं कि इतने वर्षों से अलग अलग धर्म के लोग धार्मिक यात्राओं को बेहद सोहार्द के साथ शांतिपूर्ण ढंग से निकालते आए हैं । मगर पता नहीं इस बार ऐसा क्यों हो गया ! 

हरियाणा के वर्तमान उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चोटाला का बयान : कि ये मुद्दा किसी नेता के बयान से शुरू नहीं हुआ बल्कि कथित गौ रक्षकों की कार्यवाहियों से शुरू हुआ है । अपने आपको गौरक्षक बताने वाले ज्यादातर लोगों के घरों मे गायें नहीं हैं । फिर सवाल ये उठता है कि आखिर इस तरह की गतिविधियों को पालने पोषने के पीछे क्या मंशा है ? 

जानकारों के अनुसार हिंसा को बढ़ावा कैसे मिलता है 

इस मामले मे देखा गया कि गौरक्षक, बजरंगदल , गउमूत्र सेना हरियाणा  जैसे संगठन आए दिन मांस ले जाते गाडी ड्राइवरों को मारते-पीटते हैं और फिर उनकी वीडियोज़-फ़ोटोज़ सोशल मीडिया के अलग अलग प्लेटफॉर्म्स पर डाल देते । अक्सर इस मार पीट का शिकार मुस्लिम ही होते हैं । ऐसी गतिविधियों मे दोनों समुदायों के लोगों मे तनाव मे बढ़ोतरी होती है ।

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